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आज के समय में सोलर पैनल का इस्तेमाल बहुत से लोग करते है क्योंकि आज बिजली की खपत हर घर में बढ़ गई है आज के समय में जिन लोगों के पास काफी सारा पैसा है उन लोगों को गर्मियों में AC और सर्दियों में रूम हीटर की जरुरत होती है
एक AC और रूम हीटर को चलने केलिए कम से कम 4-5 किलोवाट बिजली की जरुरत होती है अब ऐसे में यदि 4-5 किलोवाट लोड डायरेक्ट ग्रिड (सरकारी बिजली) पर चलेगा तो बिजली का बिल कम से कम 15-17 हजार के करीब आएगा ऐसे में यदि आप 6-7 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवा लेते है.
तो आपके सिर्फ एक बार पैसे लगेंगे और उसके बाद आपको 20-25 तक कोई भी बिजली का बिल भरने की जरुरत नहीं होगी और न सोलर सिस्टम पर कोई खर्चा करने की जरुरत होगी.
लेकिन यह बात आपके ऊपर निर्भर करती है की आप कौनसा सोलर पैनल लेना चाहते है तो आज हम आपको इस पोस्ट में सोलर पैनल के बारें में जानकारी देने वालें है और बताने वाले है की सोलर पैनल खरीदने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
Best Solar Panel In India
यहां पर आपको कुछ बढ़िया सोलर पैनल के नाम बताए गए हैं जिन्हें आप ऑनलाइन खरीद सकते हैं लेकिन अगर आप ऑफलाइन मार्केट से खरीदेंगे तो आप waaree, Vikram, Tata ,UTL और पतंजलि जैसी कंपनियों के सोलर पैनल भी खरीद सकते हैं जो कि बहुत ही बढ़िया कंपनी है.
No. | Solar Panel Model | |
1 | Luminous Mono PERC 380 Watt Solar Panel | Buy Here |
2 | Luminous Solar Panel (330 watt) | Buy Here |
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4 | LOOM SOLAR Panel 190 Watt | Buy Here |
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फोटोवोल्टिक (Photovoltaic) सोलर पैनलों के प्रकार
भारत में कई सारे ब्रांड सोलर पैनल Manufacturer करते है लेकिन सभी सोलर पैनल आपके प्राइस में फिट नहीं बैठेंगे क्योंकि जो भी कम्पनी सोलर पैनल जितना महंगा देती है उनमें कुछ न कुछ खासियत जरुर होती है मार्किट में आपको बहुत से प्रकार के सोलर पैनल देखने को मिलेंगे. सोलर पैनल मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है
1. मोनो-क्रिस्टलीय सोलर पैनल
मोनो-क्रिस्टलीय सोलर पैनल Premium Quality वाले होते हैं और दुसरे सोलर पैनल के मुकावले में यह सोलर पैनल ज्यादा बिजली बनता हैं। दुसरे सोलर पैनलों की तुलना में मोनो-क्रिस्टलीय सोलर पैनल की Efficiency ज्यादा होती है। मोनो-क्रिस्टलीय सोलर पैनल काले रंग के होते हैं और सिंगल-क्रिस्टल सिलिकॉन का बनाते हैं।
2. पॉली-क्रिस्टलीय सोलर पैनल
पॉली-क्रिस्टलीय सोलर पैनल मोनो-क्रिस्टलीय सोलर पैनल की तुलना में सस्ते होते हैं लेकिन पॉली-क्रिस्टलीय सोलर पैनल की Efficiency भी मोनो-क्रिस्टलीय सोलर से कम होती है। पॉली-क्रिस्टलीय सोलर पैनल नीले रंग के होते है और इनका प्राइस कम होने की वजह से इन सोलर पैनलों का इस्तेमाल आज लगभग हर घर में हो रहा है.
सोलर पैनल खरीदने से पहले ध्यान रखने योग्य बात
अब दोस्तों आपको सोलर पैनल की टाइप के बारे में पता चल गया होगा कि सोलर पैनल कितने प्रकार के होते है तो अब बात करते हैं की सोलर पैनल खरीदने से पहले आपको किन-किन बातों के बारे में ध्यान रखना चाहिए तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं
1 . Efficiency
जब आप अपनी मेहनत की कमाई सोलर सिस्टम में लगायेंगें तो तब आप यह सोच कर लगायेंगे की इस पर हम अपने घर का सारा लोड चला सकते है और हमें हर महीने बिजली बिल नहीं भरना पड़ेगा यह बात सोच कर हम अपने पैसे सोलर सिस्टम में लगाते है ऐसे में यदि आपके घर के सारे उपकरण न चले तो फिर सोलर सिस्टम लगवाने और पैसे खर्च करें का क्या फायदा हुआ
इसलिए दोस्तों जब आप सोलर पैनल खरीदे तो ज्यादा Efficiency वाला यानि की मोनो-क्रिस्टलीय सोलर पैनल ख़रीदे यह सोलर पैनल आपको ज्यादा बिजली बना कर देगा लेकिन दोस्तों यह थोड़े से महंगे होते है और दोस्तों सोलर पैनल लगाने के बाद आपको ध्यान रखना होगा ,
की सोलर पैनल पर कोई मिटटी या किसी भी तरह की कोई गंदगी सोलर पैनल के ऊपर ना हो अगर सोलर पैनल साफ़ नहीं होंगे तो बिजली कम बनेगी और आपके घर का लोड ज्यादा नहीं चल पायेगा इसलिए सोलर पैनल को साफ़ सुथरा रखें
2. Warranty
भारत में ज्यादातर सोलर पैनल वारंटी के साथ आते हैं, लेकिन आपको यह बात ध्यान रखनी होगी कि वारंटी के अंतर्गत कौन सी शर्तें आती हैं। कुछ डीलर केवल प्राकृतिक नुकसानों के लिए वारंटी देते है, जबकि कुछ डीलर प्राकृतिक और स्वयं-क्षति (जो नुकसानों हम से हो) के लिए वारंटी देते हैं।
कुछ डीलर वारंटी केवल पांच साल की ही देते हैं, जबकि दुसरे डीलर 15 साल की वारंटी देते है। कुछ शर्तें वारंटी के अंतर्गत आती हैं, और आप एक जिम्मेदार खरीदार के रूप में पहले गारंटी और वारंटी की पूरी जानकारी लेलें ताकि बाद में कोई दिक्कत ना हो,
कुछ सोलर पैनल खरीरदार अपने सोलर पैनलों के लिए वारंटी के बजाय बीमा करवाते हैं यदि यह सस्ता है और कई नुकसानों को कवर करता है। तो आप अपनी सुविधानुसार इनमें से किसी भी एक विकल्प को चुन सकते हैं।
3. Temperature Coefficient
भारत में सभी प्रकार का मौसम होता है यहाँ पर कई जगह पर गर्मियों के समय में ज्यादा गर्मी और सर्दियों के समय में ज्यादा सर्दी लेकिन भारत में कई जगह पर गर्मी के मौसम में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है।
इतना ज्यादा तापमान सोलर पैनल की बॉडी को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए सोलर पैनल खरीदने से पहले उसके Temperature Coefficient की जांच कर लें। सोलर पैनल का Temperature Coefficient जितना कम होगा, उसकी Efficiency उतनी ही ज्यादा होगी।
आपको सीधे सूर्य के प्रकाश से बचने के लिए सोलर पैनलों के कोण को adjust करना पड़ सकता है। दोस्तों ज्यादा धुप के कारण सोलर पैनल ख़राब ना हो इसलिए भारत में सोलर पैनल को झुका कर यानि तिरछे लगाये जाते है.
4. Durability
सोलर पैनल कोई कपडे नहीं है जिन्हें आप हर महीने या फिर आप का जी चाहे तब आप बदल दें दोस्तों सोलर पैनल एक ऐसी चीज है जो रोज दिन और रात बहार पड़े रहते है चाहे गर्मी हो या सर्दी और दोस्तों इन्हें आप हर महीने या फिर हर साल नहीं बदल सकते है क्योंकि इन पर बहुत खर्चा लगता है सोलर पैनलों में Sensitive घटक होते हैं जो कठिन मौसम के दौरान मजबूत रहने में सक्षम नहीं हो सकते हैं।
इसलिए सोलर पैनल को ऐसी जगह पर लगाये जहाँ पर उन्हें टूटने-फूटने का खतरा ना हो यदि आप ज्यादा बड़ा सोलर सिस्टम लगवाते है तो कोसिस करें की आप उन्हें खुली जगह पर लगायें और यदि आप किसी शहर में रहते है तो इस बात का ध्यान रखें कि इन सोलर पैनल के ऊपर ना तो किसी बिल्डिंग या फिर किसी पेड़ पौधे की छाया आ सके .
ना ही दोस्तो इन सोलर पैनल के आसपास कोई ऐसी चीज हो जो इनके ऊपर गिर कर इन्हें तोड़ दे या इन्हें खराब कर दे और दोस्तों सोलर पैनल बच्चों की पहुंच से दूर होने चाहिए क्योंकि कई बार सोलर सिस्टम में खराबी होने की वजह से सोलर सिस्टम सोलर पैनल में बैक करंट भेज देता है.
5. Reviews
आप लोग फ्लिपकार्ट और अमेजॉन वगैरह का तो यूज करते होंगे जहां से दोस्तों हम अपने लिए प्रोडक्ट मंगाते हैं लेकिन दोस्तों वहां पर जब भी हम अपना कोई प्रोडक्ट मंगाते हैं तो पहले उस प्रोडक्ट की रेटिंग चेक करते हैं कि लोगो ने इसे कितनी रेटिंग दी है और उसके कमैंट्स में जाकर उसके कमेंट वगैरह भी चेक करते हैं.
कि यह प्रोडक्ट कैसा है और लोगों ने इस प्रोडक्ट के कैसे विचार रखे हैं तो उसी तरह से दोस्तों यदि आप कोई भी सोलर पैनल खरीदते हैं तो उससे पहले आप उनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर या फिर यूट्यूब वगैरह पर वीडियो देखकर उनके बारे में जानकारी ले सकते हैं पता लगा सकते हैं कि यह सोलर पैनल कैसा है और इसके बारें में लोगों ने कैसे विचार दिए हैं.
6. Ratings
बिजली से चलने वाले हो या बिजली बनाने वाले इन उपकरणों की रेटिंग होती है। सोलर पैनलों के मामले में, यह रेटिंग Specified परिस्थितियों में बिजली उत्पन्न करने के लिए सोलर पैनल की क्षमता का सुझाव देती है। ये रेटिंग दो या दो से ज्यादा सोलर पैनलों की Compare करने के लिए सबसे अच्छी हैं।
सोलर पैनलों की रेटिंग जितनी अधिक होगी, वह उतनी ही ज्यादा बिजली पैदा कर सकते है। यदि दो सोलर पैनलों की रेटिंग समान है, तो उनको Compare करने के लिए पावर रेटिंग को चेक करें।
7. Price
सोलर पैनल खरीदने से पहले आपको सोलर पैनल के प्राइस के बारे में भी पता लगाना होगा और सबसे पहले आपको यह तय करना होगा कि आपको कौन से सोलर पैनल की जरूरत है जैसे कि हमने आपको पहले भी बताया था कि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल बढ़िया रहते हैं.
यह सोलर पैनल ज्यादा बिजली बनाते हैं और इनकी Efficiency भी ज्यादा होती है तो दोस्तों मान लीजिए आप मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल खरीदना चाहते हैं तो आपको पैनल की कीमत, Warranty Fee, Installation Cost इन सभी के प्राइस के बारे में पता लगाना होगा .
उसके बाद दोस्तों को आपको अपना बजट तैयार करना होगा और दोस्तों यदि आप पैसे बचाना चाहते है तो आप सोलर पैनल खुद भी लगा सकते है इसके लिए आप यूट्यूब विडियो की मदद ले सकते है.
8. Certifications
MNRE Ministry of New and Renewable Energy भारत में बेस्ट सोलर पैनलों को मंजूरी देता है। MNRE की मंजूरी वाले सोलर पैनलों के पास उनकी Authenticity, Durability और Efficiency का प्रमाण पत्र है। दोस्तों आप जिस सोलर पैनल को खरीदना चाहते हैं, उसकी Quality सुनिश्चित करने के लिए केवल यह Acceptance ही Sufficient है।
9. Power requirement
सोलर पैनल खरीदने से पहले आपको अपने घर का पूरा लोड चेक करना होता है की कौन-कौन से उपकरण आप अपने सोलर सिस्टम पर चलाना चाहते हैं या फिर आपके घर का टोटल लोड कितना है..
मान लीजिये दोस्तों आप के घर का लोड 4 किलो वाट है तो आपको कम से कम 5 किलो वाट सोलर सिस्टम लगवाना होगा यानि की जितना लोड आपके घर का है उस से 1 किलोवाट ज्यादा का सोलर सिस्टम लगवाये और हमने यह 1 किलोवाट ज्यादा इसलिए बताया है ताकि भविष्य में यदि आप 1 या 2 उपकरण और चलाना चाहे तो आसानी से चल जाए.
यदि आपको उपने घर का लोड कैलकुलेट करना है तो हमारी वेबसाइट में लोड कैलकुलेट करने का कैलकुलेटर भी है जिस से आप आसानी से अपने घर का लोड कैलकुलेट कर सकते है
10. Mounting systems
Mounting Systems को हम सोलर पैनल स्ट्रक्चर भी कहते हैं यह सोलर पैनल का स्टैंड होता है जिस की ऊपर हमारे सोलर पैनल लगते है और यह इसलिए लगे जाता है ताकि जब आंधी या तूफ़ान आये तो हमारे सोलर पैनल हिले ना और स्थिर रहे Mounting Systems दो प्रकार के होते हैं, Flush Mounting (फ्लश माउंटिंग) और Roof/Floor Mounting (रूफ/फ्लोर माउंटिंग)
1. Flush Mounting – फ्लश माउंटिंग सस्ता सोलर पैनल का स्टैंड होता है और इसे लगाते समय भी कम समय लगता है और बिलकुल आसानी होती है, लेकिन यह स्टैंड तेज हवाओं और अंधी तूफान को नहीं झेल सकता है
2. Roof/Floor Mounting – रूफ/फ्लोर माउंटिंग थोड़ा महंगा है लेकिन फ्लश माउंटिंग की तुलना में यह ज्यादा टिकाऊ और मजबूत है।
तो इन सभी महत्वपूर्ण पॉइंट्स को देखते हुए आपको सोलर पैनल खरीदना है अगर आप हमारी सलाह मानें तो आपको Mono PERC सोलर पैनल खरीदना चाहिए जो कि Value For Money सोलर पैनल है.mono perc सोलर पैनल आपको अलग-अलग तरह के देखने को मिलेंगे जैसे कि Half cut और Bifacial तो आप यह सोलर पैनल भी खरीद सकते हैं.
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